जय श्री गणेश

MOM ( Mars Orbiter Mission ) बारे में महत्वपूर्ण जानकारिया

MOM ( Mars Orbiter Mission) महत्वपूर्ण जानकारिया :-


भारत अपने प्रथम प्रयास में यह सफलता अर्जित करने वाला विश्व का पहला देश बना। 
भारत एशिया का पहला देश है जो कि मंगल ग्रह तक पहुंचा है। 

इससे पहले USA, European union और रूस ही यह सफलता प्राप्त कर चुके है। 
मंगल के अभी तक 51 में से 21 प्रयास ही सफल हो पाए है। 
भारत का मंगल अभियान अभी तक का सबसे सस्ता अभियान है जो कि अमेरिकी यान MAVEN से भी सस्ता है। 
मिशन अवधि - 300 दिन 
लॉन्च वजन - 1350 किलोग्राम (2980 पाउन्ड) 
पेलोड वजन - 15 किलोग्राम (33 पाउन्ड) 
मिशन का आरंभप्रक्षेपण तिथि - 5 नवम्बर 2013 
प्रक्षेपक वाहन - PSLV सी25 
प्रक्षेपण स्थल - सतीश धवन केंद्र यह एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन 
परियोजना है जिसका लक्ष्य अन्तरग्रहीय अन्तरिक्ष मिशनों के लिये आवश्यक डिजाइन, नियोजन, प्रबन्धन तथा क्रियान्वयन का विकास करना है। 
ऑर्बिटर अपने उपकरणों के साथ कम -से- कम 6 माह तक कक्षा में दीर्घ वृत्ताकार पथ पर मंगल की परिक्रमा करता रहेगा तथा आंकड़े व तस्वीरें पृथ्वी पर भेजेगा। 
इसके सफल प्रक्षेपण की सूचना कैनबेरा डीप स्पेस सेण्टर ,ऑस्ट्रेलिया द्वारा दी गयी। 

प्रमुख उपकरण :-

मंगलयान के साथ पाँच प्रयोगात्मक उपकरण भेजे गये हैं जिनका कुल भार 15 किलोग्राम है। 

1.मीथेन सेंसर (मीथेन संवेदक) :- 

यह मंगल के वातावरण में मीथेन गैस की मात्रा को मापेगा तथा इसके स्रोतों का मानचित्र बनाएगा। मिथेन गैस की मौजूदगी से जीवन की संभावनाओं का अनुमान लगाया जाता है। 

2.थर्मल इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर (TIS) (ऊष्मीय अवरक्त स्पेक्ट्रोमापक) :- 

यह मंगल की सतह का तामपान तथा उत्सर्जकता (emissivity) की माप करेगा जिससे मंगल के सतह की संरचना तथाखनिजकी (mineralogy) का मानचित्रण करने में सफलता मिलेगी। 

3.मार्स कलर कैमरा (MCC) (मंगल वर्ण कैमरा) :- 

यह दृष्य स्पेक्ट्रम में चित्र खींचेगा जिससे अन्य उपकरणों के काम करने के लिए सन्दर्भ प्राप्त होगा। 

4.लमेन अल्फा फोटोमीटर (Lyman Alpha Photometer (L A P)) (लिमैन अल्फा प्रकाशमापी) :- 

यह ऊपरी वातावरण में dutiriumतथा hydrogen की मात्रा मापेगा। 

5.मंगल इक्सोस्फेरिक न्यूट्रल संरचना विश्लेषक (MENCA) (मंगल बहिर्मंडल उदासीन संरचना विश्लेषक) :- 

यह एक चतुःध्रुवी द्रव्यमान विश्लेषक है जो बहिर्मंडल (इक्सोस्फीयर) में अनावेशित कण संरचना का विश्लेषण करने में सक्षम है। लागत इस मिशन की लागत 450 करोड़ रुपये (करीब 6 करोड़  |90 लाख डॉलर |) है। 
यह नासा के पहले मंगल मिशन का दसवां और चीन-जापान के नाकाम मंगल अभियानों का एक चौथाई भर है। 
चीन के असफल मंगल यान का नाम yinghou - 1 है जो कि 2011 में प्रक्षेपित किया गया था। 
इससे पहले मार्स ओडिशी, मार्स एक्सप्रेस, मार्स ऑर्बिटर तथा दो रोवर्स स्प्रिट और अपोर्चुनिटी एवं लेंडर - फिनिक्स भी वहां कार्यरत है। 
मंगल पर सबसे पहले अमेरिका 1971 में 
पहुंचा था। 
राजस्थान के वैज्ञानिक जो कि मंगल यान से सम्बंधित है -भीलवाड़ा की राजदीप कॊर एवं कोटा के अनुज सरोल


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